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लोथल (Lothal)

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लोथल लोथल   प्राचीन   सिंधु घाटी सभ्यता   के शहरों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण शहर है। लगभग 2400 ईसा पूर्व पुराना यह शहर   भारत   के राज्य   गुजरात   के   भाल क्षेत्र   में स्थित है और इसकी खोज सन 1954 में हुई थी।   भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण   ने इस शहर की खुदाई 13 फ़रवरी 1955 से लेकर 19 मई 1956 के मध्य की थी। लोथल ,   अहमदाबाद जिले   के ढोलका   तालुका   के गाँव   सरागवाला   के निकट स्थित है लोथल गोदी जो कि विश्व की प्राचीनतम ज्ञात   गोदी ( गोदी   या Dock   जलयानों   के ठहरने के स्थान को कहते हैं)   है , ईंट के कृत्रिम गोदी बाड़े वाला यह एकमात्र सिंधु शहर है। सिंध   में स्थित   हड़प्पा   के शहरों और   सौराष्ट्र   प्रायद्वीप   के बीच बहने वाली   साबरमती नदी   की प्राचीन धारा के द्वारा शहर से जुड़ी थी , जो इन स्थानों के मध्य एक व्यापार मार्ग था ।यह सिंधुवासियों का मुख्य बंदरगाह रहा होगा उस समय इसके आसपास का   कच्छ   का   मरुस्थल ,   अरब सागर का एक हिस्सा था। 1961 में भारतीय पुराततव सर्वेक्षण ने खुदाई का कार्य फिर से शुरु किया और टीले के पूर्वी और पश्चिमी पक्षों की खुदाई के दौ

मोहनजोदड़ो (Mohanjodaro)

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मोहनजोदड़ो  (Mohanjodaro) मोहनजोदड़ो का सिन्धी भाषा में अर्थ है “   मुर्दों का टीला   “ । यह दुनिया का सबसे पुराना नियोजित और उत्कृष्ट शहर माना जाता है। यह सिंघु घाटी सभ्यता का सबसे परिपक्व शहर है। यह नगर अवशेष सिन्धु नदी के किनारे   सक्खर ज़िले   में स्थित है। मोहन जोदड़ो शब्द का सही उच्चारण है ‘ मुअन जो दड़ो ‘ । इसकी खोज राखालदास बनर्जी ने 1922 ई. मे की। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक जान मार्शल के निर्देश पर खुदाई का कार्य शुरु हुआ। यहाँ पर खुदाई के समय बड़ी मात्रा मे ईमारतें , धातुओं की मूर्तियाँ , और मुहरें आदि मिले। पिछले 100 वर्षों में अब तक इस शहर के एक-तिहाई भाग की ही खुदाई हो सकी है , और अब वह भी बंद हो चुकी है। माना जाता है कि यह शहर 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला था। मोहनजोदड़ो की सड़कों और गलियों में आप आज भी घूम सकते हैं। यह शहर जहाँ था आज भी वहीं है। यहाँ की दीवारें आज भी मजबूत हैं , आप यहाँ पर पीठ टिका कर सुस्ता सकते हैं। इस शहर के किसी सुनसान मार्ग पर कान देकर उस बैलगाड़ी की रून-झुन सुन सकते हैं जिसे आपने पुरातत्व की तस्वीरों में देखा है। इसे नागर